नई दिल्ली। राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को समाप्त करने का सही समय आ गया है। यह अनुच्छेद अलगाव- वादियों को प्रोत्साहित करता है और देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा करता है। जानिए, क्या है धारा 370 भारतीय संविधान की धारा 370 जम्मू- कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करती है। 1947 में विभाजन के समय जब जम्मू-कश्मीर को भारतीय संघ में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई। उस समय जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे। इसी दौरान तभी पाकिस्तान समर्थित कबिलाइयों ने वहां आक्रमण कर दिया, जिसके बाद बाद उन्होंने भारत में विलय के लिए सहमति इस तरह बनी थी धारा 370 दी। उस वक्त आपातकालीन स्थिति के मद्देनजर कश्मीर का भारत में विलय करने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करने का समय नहीं था। इसलिए संघीय संविधान सभा में गोपालस्वामी आयंगर ने धारा 306-ए का प्रारूप पेश किया। यही बाद में धारा 370 बनी। जिसके तहत जम्म-कश्मीर को अन्य राज्यों से अलग अधिकार मिले हैं। 1951 में राज्य को संविधान सभा को अलग से बलाने की अनुमति दी गई। नवंबर, 1956 में राज्य के संविधान का कार्य पूरा हुआ। 26 जनवरी, 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया। धारा 370 के प्रावधानों के मुताबिक संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है। किसी अन्य विषय से संबंधित कानन को लाग करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की सहमति लेनी पड़ती है। इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।1976 का शहरी भूमि कानून भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होताभारत के अन्य राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं। धारा 370 के तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भमि खरीदने का अधिकार है। भारतीय संविधान की धारा 360 यानी देश में वाला प्रावधान जम्म-कश्मीर पर लाग नहीं होता। धारा 370 की खास बातें - जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है। यहां का झंडा अलग होता है।
कल्याण सिंह बोले, जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को खत्म कर देना चाहिए